रजा ग्राफी न्यूज:- मैंने आपको बताया था कि कुरआन का अपमान करने वाले वो लोग हैं, जो इराक से स्वीडन या डेनमार्क पहुंचे हुए हैं. ईरान से डेनमार्क पहुंची कुछ महिलाएं हैं, ईरान के अन्दर नंगी होकर रहना चाहती थी. जैसे भारत में आप देख रहे हैं कि फ्रीडम के नाम पर कि हम कुछ भी पहन सकते हैं.
यह मेरा जिस्म है और मेरी मर्जी वाला फार्मूला इस्तेमाल करके नंगे रहना चाहती हैं, जो कि सभ्यता के खिलाफ है और हमारे भारत के लिए भी यह सभ्यता के खिलाफ है. क्योंकि हमारे देश में भी ऐसी कई सभ्यताएँ हैं. जिन्होंने परदे को तरजीह दी है. हमारे हिंदू भाई हैं उनके यहां भी ऐसा नहीं है. क्योंकि उनकी सभ्यता यह परमिशन नहीं देती. हिंदू सभ्यता में भी पर्दे को तरजीह दी गई है.
हालांकि पर्दा मुसलमानों में ज्यादा है, इस्लाम धर्म को मानने वाले इसे ज्यादा मानते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ईरान की वो महिलाएं, जो ईरान में नंगी रहना चाहती थी. उन्होंने ईरान के अंदर महसा अमीनी के नाम पर खूब हुड़दंग मचाया था, जिसके बाद ईरान की सरकार ने कई सख्त कदम उठाए.
ईरान का कानून काफी सख्त है, जिसकी वजह से ऐसी महिलाओं को देश छोड़कर भागना पड़ा, जो ईरान को छोड़कर स्वीडन और डेनमार्क जैसे देशों में चली गई. जहाँ कि इन्हें अभी तक नागरिकता नहीं मिली है और अब यह ईरान वापस भी नहीं जा सकती हैं. जिसकी वजह से स्वीडन और डेनमार्क जैसे देशों को जो इस्लाम और कुरआन से नफरत करते हैं, उन्हें खुश करने के लिए कुरआन जला रही हैं.
इसी तरह से ईरान की यह महिला है, जो कि रिफ्यूजी है. यह महिला ईरान को छोड़कर अब इस समय डेनमार्क में रह रही है. इस ईरानी महिला ने डेनमार्क में ईरान की अम्बेसी के बाहर कुरआन-ए-पाक की फिर से तौहीन की है. इस बार तौहीन करने के लिए एक नया तरीका यह अपनाया गया है.
कुरान के पन्नों को फाड़कर उसको कद्दूकस किया गया है. खैर कुरान को चप्पल मारने से, कुरान को जलाने से, कुरान की तौहीन करने से, कुरान को कद्दूकस करने से अल्लाह पर इस्लाम पर कोई भी फर्क नहीं पड़ने वाला नहीं है. यदि आप अपने नेता का या किसी तानाशाह का कागज पर नाम लिखकर उस पर चप्पल मारेंगे, तो क्या उस तानाशाह या नेता पर कुछ फर्क पड़ेगा, नहीं पड़ेगा.
ऐसा ही तानाशाह है जो सभी भारतवासियों की बद्दुआ ले रहा है, उसे पता है लोग उसे गाली बक रहे हैं, जो बात वह खुद सामने आकर कहता है कि भाइयों और बहनों लोग मुझे गाली बकते है. इतनी तरह की गलियां बकते हैं, लेकिन क्या उसको कोई फर्क पड़ता है, नहीं पड़ता है. यह बात समझना चाहिए आपको भी.