ईरान की संसद ने महिलाओं के ड्रेस कोड को लेकर एक नया कानून बनाया है। इसके तहत अगर वो हिजाब नहीं पहनेंगी तो उन्हें 49 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। ईरान के सांसद हुसैनी जलाली ने इसकी पुष्टि की है।
वहीं ईरान के एक धर्म गुरू मोहसेन अराकी ने महिलाओं के हिजाब न पहनने की तुलना कोरोना वायरस से कर दी है। उन्होंने कहा, ‘हम कोरोना वायरस की तरह हिजाब के खिलाफ चले ट्रेंड को फैलने नहीं देंगे।
‘हमारे दुश्मनों का मकसद ईरान की महिलाओं की आजादी को खत्म करना है। क्योंकि एक महिला हिजाब के बिना आजाद नहीं रह सकती है। इससे वो हमेशा दूसरों की हवस के निशाने पर रहेंगी।’
‘महिलाएं बिना कपड़ों के बाहर आएं उससे पहले उनका हिजाब पहनना अनिवार्य हो’
पिछले महीने ईरान के एक मौलवी मुहम्मद नबी मौसवीफारद ने सरकार से अपील कर कहा था कि इससे पहले की महिलाएं गर्मियों में बिना कपड़े पहने घर से बाहर आएं सरकार को हिजाब पर कोई सख्त कानून बनाना चाहिए।
उन्होंने ये तक कह दिया था कि हिजाब नहीं पहनने वाले लोगों को किसी तरह कोई सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। ईरान में इस तरह से हिजाब के समर्थन में अजीब बयान देने वालों की लिस्ट काफी लंबी है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई के करीबी मोहम्मद मेहदी होसैनी ने कम बारिश होने के पीछे महिलाओं के हिजाब न पहनने को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि जो लोग हिजाब नहीं पहन रहे हैं उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक जलाली ने कहा है कि जुर्माने के अलावा महिलाओं ने अगर नए ड्रेस कोड का पालन नहीं किया तो उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाएंगे और उनके इंटरनेट इस्तेमाल करने पर भी पाबंदी लगा दी जाएगी। ईरान में पिछले 6 महीनों से हिजाब के विरोध में प्रदर्शन करने वाले लोगों के लिए ये नया कानून बड़ा झटका है।
ईरान में जारी प्रदर्शनों को रोकने के लिए वहां की सरकार अब नाबालिगों को भी मौत की सजा सुना सकती है। ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ के मुताबिक ईरान ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए 3 नाबालिगों को आरोपी ठहराया है।
इन तीनों नाबालिगों को कई और लोगों के साथ मिलकर तेहरान में एक पुलिस ऑफिसर को मारने के जुर्म में ट्रायल पर रखा गया था। इन पर आरोप लगा था कि इन्होंने चाकू, पत्थरों और बॉक्सिंग गलव्ज से ईरान की बासिज पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य को मारा है।